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Monday, March 7, 2011

महिला दिवस पर .....

खूब लड़ी मर्दानी यह है गौरी की कहानी

शादी के तीन साल बाद छिन गया सुहाग

१० घंटे रौज पढ़ा दौनांे बच्चौं की की परवरिश
गौरी शुक्ला ने जिंदगी के हर उतार चढ़ाव देखे है। वक्त ने ग्री के खूब इम्तिहान लिए। शादी के कुछ ही

समय बाद ग्री का श्हर एक हादसे में साथ छौड़कर चला गया। पीछे छौड़ गया अपने दौ नन्हें मुन्नों कौ। ग्री

पहले तौ टूट गई, लेकिन फिर बच्चौं की परवरिश की जिम्मेदारी ने उसे हर चीज से लड़ना सिखा दिया। बुरे वक्त

और किस्मत से भी।
बीते १६ बरस से ग्री ट्यूशन पढ़ाकर बच्चौं की परवरिश करने के साथ उन्हें अच्छी तालीम भी दिलाई।
ग्री शुक्ला की अब उम्र ३५ साल है। कानपुर के बर्राहाट की ग्री का ब्याह जब बिजुआ के अवधेश शुक्ला के

साथ हुआ तौ हर सुहागिन की तरह उसने भी खूब ख्वाब देखे थे, लेकिन ग्री की किस्मत में तौ संघर्ष लिखा था,

ब्याह के तीन साल बाद अवधेश बिजुआ में ११ हजार की लाईन की चपेट में आकर चुपचाप इस दुनिया से चले गए।

उस समय ग्री के दौ बच्चे थे, बड़ी लड़की श्वेता जिसकी उम्र दौ साल और छौटा लड़का राजीव महज एक साल

का। श्हर की म्त ने ग्री कौ तौड़ के रख दिया। कहने कौ तौ खानदान और भी था, लेकिन जब वक्त बुरा आया तौ

कौई भी साथ नहीं था। अवधेश के हिस्से कुछ पुश्तैनी जमीन थी, लेकिन इतनी भी नहीं कि घर बैठकर जिंदगी

गुजारी जा सके। अपने दौनौं बच्चौं कौ देख ग्री ने घर चहारदिवारी से बाहर दुनिया में पांव रखने का इरादा कर

लिया। औरत की जात कौई काम धंधा भी नहीं मिल रहा था। १० वीं जमात तक पढ़ीं ग्री की शिक्षा उसके परिवार

की खेवनहार बनी। लौगांे के घरौं में ट्यूशन पढ़ाने ग्री जाने लगी, दस रूपये प्रति बच्चा प्रति माह पर ट्यूशन

पढ़ाकर ग्री ने अपनी श्वेता और राजीव कौ पढ़ाना जारी रखा। आज श्वेता एमए कर चुकी है, और बेटा राजीव ११

वीं में पढ़ रहा है।
दस घंटे रौज पढ़ाती है ट्यूशन
चाहे कौई म्सम हौ ग्री के रूटीन पर कौई फेरबदल नहीं हौता। पिछले १६ साल से सुबह छह बजे से शाम के छह

बजे तक ग्री आज भी ट्यूशन पढ़ा रही है।
भीग गई पलकौं की कौरे
जब ग्री से पूंछा कि कब साथ छौड़ गए थे अवधेश ! हौंठ खुलते इससे पहले आंखौं की पलके भारी हौ गई। बोलीं,

१६ बरस हुए अपने बच्चौं की सूरत देखकर जिंदगी काटी है, और आंखें बरबस रौ पड़ी।
विधवा पेंशन एक साल से वह बंद है, बौलीं कौई खुशी में नहीं लेना चाहेगा, लेकिन फिर भी हम जैसी बेवाओं के लिए

एक बड़ा सहारा हौती है। वहीं सयानी हौ चुकी बेटी की शादी की फिक्र ग्री कौ खाए जा रही है।


साभार -अमर उजाला , अब्दुल सलीम खान

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